राजस्थान रोडवेज के हालातों में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। एक तरफ नई बसों की खरीद नहीं हो पा रही है, वहीं मौजूदा बसें पुरानी होने से इनके बंद होने का सिलसिला लगातार जारी है। रोडवेज में दो महीने से मेंटेनेंस नहीं होने से करीब 468 से अधिक बसें ऑफ रोड हो गई है। यानी रोडवेज की ये बसें प्रदेश के 52 डिपो पर खड़ी हुई हैं। इन बसों से ऑफ रोड होने से करीब 200 से अधिक मार्ग पर बसों का संचालन रुक गया है। हर दिन करीब 67 हजार से अधिक यात्री परेशान हो रहे हैं। इन यात्रियों को प्राइवेट और ओवरक्राउड बसों में सफर करना पड़ रहा है। रोडवेज में वर्तमान में 4 हजार 214 बसों में से 3 हजार 893 बसों का संचालन ही हो पा रहा है। सबसे अधिक ऑफ रोड बसें उदयपुर जोन में 87 और जोधपुर जोन में 72 बसें हैं। केवल एक डिपो में सबसे अधिक ऑफ रोड बसें डूंगरपुर डिपो में 36 बसें खड़ी हुई हैं। रोडवेज वर्तमान में करीब 4500 करोड़ रुपए के घाटे में चल रही है। यह स्थिति तो तब है जबकि चुनाव से पहले कर्मचारियों की ओर से की गई हड़ताल के दौरान कांग्रेस नेताओं ने रोडवेज कर्मचारियों को सातवां वेतन देने, सेवानिवृत कर्मचारियों को परिलाभ और घाटे से उबारने के लिए राशि देने का वादा किया था।
घोषणा की, लेकिन नहीं मिली राशि:
—सीएस की अध्यक्षता में 10 दिन पहले RTIDF की बैठक हुई
—रोडवेज की मदद के लिए करीब 240 करोड़
किस जोन में कितनी बसें ऑफ रोड:
अजमेर : 39 बसें
भरतपुर : 52 बसें
बीकानेर : 19 बसें
डीलक्स : 10 बसें
जयपुर : 50 बसें
जयपुर सिटी जोन : 28 बसें
जोधपुर : 72 बसें
कोटा : 43 बसें
सीकर : 68 बसें
उदयपुर : 87 बसें
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